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अगर आप इस आर्टिकल को शुरू से अंत तक पढ़ते है तो आपको BIS से सम्बंधित सभी जानकारियां प्राप्त हो जाएगी। अगर फिर भी कोई प्रश्न हो तो आप हमसे कमेंट के माध्यम से पूछ सकते है.
BIS Full Form in Hindi
BIS Full Form in Hindi “Bureau Of Indian Standards” होता है और ऐसी को हिंदी भषा में “भारतीय मानक ब्यूरो” होता है ये एक मोहर होता है जो हमारे देश में बहुमूल्य वस्तुओ पर लगी होती है.
B | Bureau of |
I | Indian |
S | Standards |
gold, silver, platinum, diamond, onix इन वस्तुओ पर BIS का हॉलमार्क किया जाता है. ये मिलावट को कम करने के लिए मूल्यवान धातुओं पर लगाया जाता है. आगे हम BIS के बारे में कुछ और जानकारियां प्राप्त करते है.
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BIS क्या होता है? (What is BIS in Hindi)
BIS एक हॉलमार्क है जो भारत देश का है जिसमे मूल्यवान धातु में मिलावट को देखा जाता है. सभी देश अपनी वस्तुओ पर अलग अलग हॉलमार्क लगाते है. जिससे खरीददार वस्तु में शुद्धता का प्रतिशत को देखता है. ये सुविधा बहुत पुरानी चलती आ रही है. लेकिन बहुत से लोगो को इसके बारे में नहीं पता होता।
BIS हॉलमार्क को 26 नवंबर सन 1986 को भारत में पारित किया गया था. लेकिन 1 अप्रैल 1987 को लागू किया गया और जब हम सोना खरीदते है तो उस पर आपको एक 22 कैरट में मापा हुआ कोड देखने को मिला होगा। और BIS हॉलमार्क, ISI पर आधारित है.
बहुमूल्य धातुओं पर हॉलमार्क क्यों लगाते है.
किसी भी मूल्यवान वस्तु या धातु में व्होलमार्क लगाने के मुख्य कारण मिलावट के प्रतिशत को काम करने के लिए किया जाता है. तांकि खरीददार को एक शुद्ध वस्तु मिले।
हॉलमार्क में कोड लिखते है. जिससे शुद्ध धातु और अशुद्ध धातु के प्रतिशत का पता चल जाता है. की उस वस्तु को बनाने में कितनी शुद्ध और कितनी अशुद्ध धातु का प्रयोग किया गया है.
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BIS हॉलमार्क के चिन्ह कैसे लिखते है
इसे हम एक उदाहरण से समझते है जैसे भारत देश में सोना जिसे 22 कैरेट में मापा जाता है. जो की सोने के ऊपर एक अंक लगा होता है जो BIS वहॉलमार्क के रूप में अंक 936 लिखा होता इसका मतलब 93.6% शुद्ध सोना होता है. और बाकि का 6.4% मिलावटी है. इसी प्रकार सभी बहुमूल्य वस्तुओ पर हॉलमार्क अंक को अंकित किया जाता है.
भारत मे BIS का मुख्य कार्यालय कहाँ है
BIS का एक मुख्य कार्यलय है जो नयी दिल्ली में स्थित है. लेकिन और भी छोटे छोटे ब्रांच है जो अलग अलग जगह पर स्थित है. जो कुछ इस प्रकार है.
- चंडीगढ़
- मुंबई
- दिल्ली
- कोलकाता
- चेन्नई
BIS Certificate
BIS Certificate के लिए एक एग्जाम पास करना पड़ता है. अगर आप उस एग्जाम में पास हो जाते है. उसके बाद निर्धारित योजनाओं के तहत आपको काम करना होता है और आपको BIS Certificate का शुलक देनी होती है उसके बाद BIS Certificate उपलब्ध करने में 4 महीनो का समय लगता है. उस चार महीनो में कार्यकर्ता के उत्पाद का निरक्षण भी किया जाता है.
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BIS के लाभ? (Advantages of BIS in Hindi)
BIS से होने वाले लाभ निम्न प्रकार से है.
- BIS हॉलमार्क से बहुमूल्य वस्तुओ में मिलावट के प्रतिशत को कम किया जाता है.
- BIS राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था को बनाये रखने में हमारी बहुत मदद करता है.
- BIS की मदद से हमें शुद्ध वस्तुए प्राप्त होती है.
- BIS से हमारे स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याओ को भी कम कर देता है.
अंतिम शब्द
आज आपने BIS Full Form in Hindi ऐसे सभी BIS से सम्बंधित जानकारियों को हमने इस आर्टिकल में बहुत ही विस्तारित रूप में दिया है. अब तक BIS फुल फॉर्म के बारे में पता चल गया होगा। अगर अभी आपके पास कोई प्रश्न है तो आप हमसे कमेंट के माध्यम से पूछ सकते है.
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FAQ
BIS Full Form in Hindi?
BIS Full Form in Hindi “Bureau Of Indian Standards” होता है और ऐसी को हिंदी भषा में “भारतीय मानक ब्यूरो” होता है ये एक मोहर होता है जो हमारे देश में बहुमूल्य वस्तुओ पर लगी होती है.
बहुमूल्य धातुओं पर हॉलमार्क क्यों लगाते है?
किसी भी मूल्यवान वस्तु या धातु में व्होलमार्क लगाने के मुख्य कारण मिलावट के प्रतिशत को काम करने के लिए किया जाता है. तांकि खरीददार को एक शुद्ध वस्तु मिले।
BIS Certificate कैसे मिलता है?
BIS Certificate के लिए एक एग्जाम पास करना पड़ता है. अगर आप उस एग्जाम में पास हो जाते है. उसके बाद निर्धारित योजनाओं के तहत आपको काम करना होता है और आपको BIS Certificate का शुलक देनी होती है उसके बाद BIS Certificate उपलब्ध करने में 4 महीनो का समय लगता है. उस चार महीनो में कार्यकर्ता के उत्पाद का निरक्षण भी किया जाता है.